गुरू जाम्भोजी का जीवनकाल एवं समकालीन ऐतिहासिक घटनाएं

✍️गुरू जाम्भोजी का जीवनकाल एवं समकालीन ऐतिहासिक घटनाएं✍️

👉ईस्वी सन् 1450 
बहलोल लोदी दिल्ली की सत्ता पर अधिकार कर लोदी-वंश की स्थापना करता है।

👉 सन् 1451 
 भाद्रप्रद बदी 8 सोमवार के दिन पीपासर गांव के लोहट जी परमार के पुत्र के रूप में जांभोजी का जन्म होता है।

👉सन् 1452
रूणिचा के बाबा रामदेव जी तंवर को समाधि लिए 67 वर्ष बीत चुके है।
 प्रसिद्ध संत कबीर की आयु 54 वर्ष की हो चुकी है तो वहीं रैदास की आयु 70 वर्ष की है।

👉1453 ई. 
 देवी करणी राव जोधा को देशनोक बुलाती है, जो वह तत्काल ही प्रस्थान कर देशनोक आ पहुंचता है। जोधा के पहुंचने पर 66 वर्षीया करणी देवी जी ने उससे कहा कि मंडोर पर हमला करने का समय अब आ गया है।
तब 700 राठौड़ों के साथ जोधा ने मंडोर की ओर प्रस्थान कर दिया।
एक लम्बे घटनाक्रम के बाद मंडोर पर राव जोधा का अधिकार हो जाता है।
इसी वर्ष मांडू का सुलतान महमूद कोटा-बूंदी पर हमला करता है। इस आक्रमण का कारण यह था कि हाड़ौती के राजपूत शासकों ने मांडू के अधीन क्षेत्र में लूटमार मचा दी थी।
अत: महमूद खिलजी उन्हें सजा देने आया था।
यह झड़प महूनी गांव में हुई, जिसमें राजपूतों की करारी हार हुई थी। उनकी स्त्रियां कैद कर मांडू भेज दी गई थीं।

👉1456 ई.
महाराणा कुम्भा द्वारा मालवा के शासक महमूद खिलजी को परास्त किया गया और कुम्भा ने शम्स खाँ को भी हराकर नागौर पर अधिकार किया।

👉1457 ई.
मेवाड़ के महाराणा कुम्भा के विरुद्ध गुजरात व मालवा का संयुक्त  युद्ध अभियान, महाराणा कुम्भा की जीत।

👉1458 ईस्वी
सात वर्षीय जाम्भोजी द्वारा खेमनारायण पुरोहित को प्रथम  शब्द सुनाना ।

👉ईस्वी सन् 1459
जोधपुर किला बनाने की योजना व स्थान तय किए जा चुके थे।
राव जोधा ने देशनोक संदेश भेजकर देवी करणी को  आमन्त्रित किया .
करणी माता के आगमन को देखते हुए मेहरानगढ से मथानिया गांव तक स्वागत की पर्याप्त व्यवस्थाएं की गई।
राव जोधा अपने सरदारों के साथ करणी जी की अगवानी के लिए चौपासनी गांव तक सामने आया।
शुभ मुहुर्त में 12 मई के दिन ज्येष्ठ सुदी 11 को बुहस्पतिवार के दिन करणी माता के द्वारा जोधपुर के मेहरानगढ़ किले का शिलान्यास किया गया।

👉1462
11 वर्षीय जाम्भोजी मीरां के दादा दूदोजी को काठ के मूठ की तलवार भेंट करते है।

👉1664 ईस्वी
जाम्भाणी साहित्य के कवि ऊदोजी नैण 16 वर्ष के हो चुके है।

👉1465 ईस्वी
उधर जोधपुर के किले में कुछ असामान्य घटित होने वाला था, क्योंकि राव जोधा का झुकाव अपने ज्येष्ठ पुत्र बीका की ओर न होकर सातल की ओर था, जिससे पितृभक्त बीका ने राज्य के परित्याग का निश्चय कर लिया था और इसी कारण 30 सितम्बर 1465 को आश्विन सुदी 10 के दिन दशहरे की पूजा के बाद 27 वर्षीय कुंवर बीका ने नए राज्य की स्थापना के लक्ष्य को लेकर जोधपुर से प्रस्थान कर दिया।
बीका के जोधपुर परित्याग के दृढ़ निश्चय को जानकर राव जोधा ने इस अभियान हेतु उसे आज्ञा प्रदान कर दी व 50 सवारों सहित सारूंडा का पट्टा प्रदान कर दिया।
कहा जाता है कि बीका ने 100 घोड़ों व 500 राजपूतों के साथ प्रस्थान किया था, जिनमें निम्नलिखित व्यक्ति उल्लेखनीय थे –
कांधल जी (बीका के चाचा), चौथमल कोठारी, जोगा (बीका का भाई), नन्दा (राव जोधा का भाई), नाथू (राव जोधा का भाई), नापा सांखला, नारसिंह बच्छावत, बच्छावत मेहता, बेला पडि़हार, मंडला, मांडल (राव जोधा का भाई), रूपा (राव जोधा का भाई), लाखण, लाला मेहता (लखणसी वैद्य), वरसिंह, विक्रमसी प्रोहित, वीदा, साल्लू राठी आदि।
दयालदास की ख्यात के अनुसार बीका के साथ 300 राजपूत आए थे।
जोधपुर से चलकर बीका ने अपना पहला डेरा मंडोर में किया, फिर देशनोक आया व 88 वर्षीया करणीजी के दर्शन किए व आशीर्वाद मांगा, तो करणी जी ने कहा कि –
‘तेरा प्रताप जोधा से सवाया होगा और बहुत से भूपति तेरे चाकर होंगे! फिलहाल तुम चांडासर गांव में जाकर में ठहरो!’
यह वह समय था, जब जोधपुर राज्य की सीमा देशनोक तक लगती थी।
माता करणी की आज्ञा से बीका, वर्तमान बीकानेर शहर से 12 मील उत्तर-पश्चिम में स्थित चांडासर गांव में निवास करने लग गया, उस समय यहीं से भाटियों की अमलदारी शुरु होती थी।
इस समयकाल में बीकानेर के रूण क्षेत्र का शासक रायपाल का पुत्र महिपाल सांखला हुआ करता था।

👉1468 ई. 
जाम्भाणी कवि दीन मोहम्मद व रायचन्द सुथार का जन्म होता है।
 मेवाङ के महाराणा कुम्भा की उसके पुत्र ऊदा द्वारा धोखे से हत्या कर दी जाती है।

👉1569 ईस्वी
जाम्भोजी  जब 18 सालों के हुए तब 15 अप्रेल 1469 को कार्तिक सुदी पूर्णिमा के दिन लाहौर क्षेत्र में रावी नदी के किनारे शेखपुरा जिले में स्थित राय भोई की तलवंडी में खत्री कुल के कल्यानराय पटवारी के यहां गुरु नानक का जन्म हुआ तथा इसी वर्ष माघ सुदी 10 को बीका के पुत्र राव लूणकरण का जन्म
होता है।
गुरू जाम्भोजी इसी वर्ष राव जोधा को बैरीसाल नगारा भेंट करते हैं।

👉1470 ई .
रूसी यात्री निकितिन की भारत यात्रा ।

👉1471 ईस्वी
जाम्भोजी की उम्र 20 वर्ष की हो चुकी थी ।

👉1472 ईस्वी
देशनोक से चांडासर आदि स्थानों पर अधिकार जमाता हुआ बीका कोडमदेसर जाकर रहा व स्वयं को शासक घोषित कर दिया।
कर्मचन्द्रवंशोत्कीर्तनकं काव्यम् के अनुसार –
‘बीका ने कठिनता से वश में आने वाले सब पुराने भोमियों को वहां से बलपूर्वक निकालकर बलवान विक्रम ने उसी देश से सवारों आदि की सेना तैयार की। ‘
फिर इसके बाद बीका ने जांगलू के 84 गांवों को अपने अधीन कर राज्य विस्तार करना शुरु कर दिया।
 यह वह साल था, जब महमूद बेगड़ा ने जूनागढ रियासत पर अधिकार कर उसे मुस्तफाबाद
कर दिया तथा शेरशाह सूरी का जन्म हुआ था।

👉1473 ईस्वी
जैसलमेर राज्य में सर्वप्रथम विष्णोई पंथ का प्रसार करने के लिए खरींगा गांव में बसने वाले  पांडू गोदारा के भाई लखमण गोदारा का रूणियां में जन्म होता है।

👉1476
कबीर व रैदास के गुरू रामानंद की मृत्यु।

👉1478
कृष्ण भक्त कवि सूरदास का जन्म।
 चम्पारण में लक्ष्मण भट्ट के पुत्र के रूप में वल्लभ संप्रदाय के संस्थापक वल्लभाचार्य का जन्म होता है,।

👉सन् 1480
 93 वर्षीया देवी करणी ने राव बीका को कोडमदेसर में भैरव मूर्ति की स्थापना का आदेश दिया व कहा कि –
‘यह मूर्ति तुम्हारे राज्य रूपी पौधे के लिए बीज का काम करेगी!’

👉सन् 1482
  जसनाथी पंथ के प्रवर्तक संत जसनाथ जी का जन्म होता है।
इसी वर्ष पूगल के राव शेखा को मुलतान की फौज ने कैद कर लिया था, तब यह सुअवसर देखकर करणी माता की प्रेरणा से नापा सांखला ने पूगल के कामदार गोगली को मिलाकर शेखा की बेटी रंगकुंवरी से बीका का विवाह तय करवा दिया।
उधर राव शेखा के परिवारजनों की गुहार पर देवी करणी ने उसे मुलतान से रिहा करवा दिया, तो इधर उसके आंगन में उसकी जानकारी के बिना उसकी पुत्री के विवाह की तैयारियां हो रही थीं।
लग्न आने पर राठौड़ों की बरात पूगल गई, किन्तु ठीक उस समय, जब दुल्हे व दुल्हिन की भांवरें पड़ रही थी, राव शेखा का वापिस अपने घर आगमन हुआ।
वह उस विवाह को देखकर आगबबूला हो उठा था, परन्तु करणी जी के समझाने से मामला शान्त हो गया।
देवी करणी की प्रेरणा से हुए इस विवाह से राठौड़ व भाटी एक सूत्र मे बंध गए थे।
करणी जी ने विवाह के उस अवसर पर राठौड़ों व भाटियों को मित्रता की शपथ दिलाई थी।
मगर फिर भी राठौड़ों व भाटियों में संघर्ष नहीं रुक पाया, तब दोनों पक्षों ने इस सीमा-विवाद के समाधान हेतु करणी जी से निवेदन किया। तब उन्होंने बताया कि –
मैं जिस स्थान से अपने परमधाम को प्रस्थान करूंगी, वही तुम्हारी सीमा मानी जाएगी। ‘

👉सन् 1483
 सावन सुदी 6 के दिन ठोंका नामक स्थान पर राव बीका की जाटों पर उल्लेखनीय जीत होती है।
यह वही साल था, जब फरगना में बाबर का जन्म होता है,
इस साल जांभोजी के 92 वर्षीय पिता लोहट जी की चैत्र सुदी नवमी को व भादो वदी पूर्णिमा को माता हांसा देवी का स्वर्गवास हो जाता है।
बीकानेर के भोजास गांव में मेहाजी गोदारा का जन्म होता है, जो आगे जाकर राजस्थानी में रामायण की रचना करते हैं।

👉1484
12 अप्रैल को महाराणा रायमल के सबसे छोटे पुत्र सांगा का जन्म हुआ।

👉1485 ईस्वी
गुरू जाम्भोजी द्वारा क़ार्तिक वदी अष्टमी को समराथल नामक धोरे पर {जो कि वर्तमान में गांव मुकाम तहसील नोखा जिला बीकानेर में स्थित है } कलश स्थापन करके विष्णोई पंथ की नींव रखी तथा सर्वप्रथम अपने चाचा पूल्होजी पंवार को पाहल दे कर विष्णोई बनाया ।
पांडू गोदारा व राव बीका का मिलन।
पांडू गोदारा द्वारा राती घाटी नामक स्थान पर डेरे करवाए, जहां नागौर, अजमेर व मुल्तान के प्राचीन रास्ते आकर मिला करते थे तथा बीका को इस स्थान पर किला बनाने की सलाह पांडू गोदारा द्वारा दी जाती है।
राव बीका पांडू गोदारा की सलाह को मानकर 98 वर्षीय करनी माता से गढ के नींव का पत्थर रखवाते है।
 चैतन्य महाप्रभु का जन्म।

👉1486 ईस्वी
पांडू गोदारा से दान लेकर एक ढाढी भाड़ंग के शासक पूल्होजी सारण के पास पहुंचता है लेकिन पूल्होजी पांडू गोदारा जितना दान नहीं दे पाता है तो पूल्होजी की पत्नी मलकी उसे ताना देती हुई कहती है कि पांडू गोदारा की बराबरी तुमसे नहीं हो पाएगी।

धजा बांध बरसे गोदारा, छत भाड़ंग की भीजै।
ज्यों ज्यों पांडू गोदारा बगसै, पूल्हो मन में छीजै।।

तब पूल्होजी ने कहा कि वो तुम्हे इतना ही पसंद है तो उनके पास ही क्यों नहीं चली जाती हैं ऐसा कहकर मलकी के साथ मारपीट करते है तो मलकी पांडू को पत्र लिखकर कहती है कि मुझे अपने पास ले जाएं, पत्र पढकर पांडू ने अपने पुत्र नकोदर को भाड़ंग पर हमला करके मलकी को लाने का हुक्म दिया ।
 नकोदर ने 150 ऊंट सवार गोदारों के साथ भाड़ंग पर हमला करके मलकी को सारणों से छीनकर ले आते है।
पूल्होजी सारण जांगल प्रदेश के जाट राज्यों की पंचायत बुलाते है और मलकी को लाने की सहायता मांगते है तब सभी जाट शासक सारणों का साथ देकर गोदारों की राजधानी लाघड़िया पर हमला कर देते हैं ।
लाघड़िया युद्ध में एक तरफ तो सारे जाट गणराज्यों की सेना तो दूसरी तरफ अकेले गोदारों की सेना में भयंकर मारकाट होती  है लेकिन इन टिड्डीदल की भांति सैनिक संख्या के सामने गोदारा टिक नहीं पाते है और गोदारों की हार हो जाती हैं । ।
लाघड़िया को जला दिया जाता है लेकिन पांडु गोदारा अपने पुत्र नकोदर सहित बच निकलने में कामयाब हो जाते है।

👉1487 ईस्वी
पांडू गोदारा लाघड़िया की हार का बदला लेने के लिए राव बीका से सैनिक सहायता मांगने जाते है तो राव बीका स्वयं अपनी सेना को लेकर नकोदर के साथ हमला करने निकल पड़ते है ।
राव बीका का ढाका नामक स्थान पर बाकि जाट गणराज्य की संगठित सेना से युद्ध होता है और जाटों की हार हो जाति है ।
 राव बीका उनके जाट गणराज्य के क्षेत्रों को अपने राज्य में मिला लेता है और गोदारा गणराज्य की नई राजधानी शेखसर के निर्माण में पांडू गोदारा का सहयोग करते है।

👉1488 ईस्वी
बीकानेर नगर की स्थापना में सहयोग स्वरूप पांडु ने अपना राज्य बीकाजी को दान कर देते है और इसी वर्ष गढ का निर्माण पूर्ण होता है तब 3 अप्रैल  को बैशाख शुक्ला 2 शनिवार के दिन 1o1 वर्षीय करणी जी के हाथों इस नवनिर्मित गढ की प्रतिष्ठा की गई और पांडू गोदारा के पुत्र नकोदर ने बीका का राजतिलक करके उसे नवनिर्मित बीकानेर राज्य का स्वतंत्र शासक घोषित किया । बीकानेर के राठौड़ राजवंश का राजतिलक पांडू गोदारा के वंशजो के हाथों से करने की परम्परा अब भी जारी है।

👉1489
उधर जोधपुर में 6 अप्रेल को राव जोधा की मृत्यु हो जाती है।
यह वही वर्ष था, जब दिल्ली में बहलोल मोदी की मृत्यु होती है सिकन्दर लोदी गद्दी पर आसीन तथा बीकानेर में कार्तिक बदी 2 के दिन राव जैतसी का जन्म होता है।
बीजापुर स्वाधीन हो जाता है।

👉1490
दिल्ली सल्तनत से अहमदनगर स्वाधीन।

👉1494 ई
. बंगाल में हुसैनशाह गद्दी पर आसीन, बाबर फरगना का अमीर बना।

👉1498 ई.
मीरां बाई का जन्म ।
 देवी करणी 111 वर्षीया हो चुकी थी, मगर शारीरिक व मानसिक रूप से पूर्ण स्वस्थ थीं।
इसी वर्ष 20 मई को अपने गुजराती पथ-प्रदर्शक अब्दुल मजीद की सहायता से पुर्तगाली नाविक वास्को-डी-गामा यूरोप से भारत का सामुद्रिक मार्ग खोजकर भारत के मलाबार तट पर स्थित कालीकट बन्दरगाह पहुंचा।
यह वही वर्ष था, जब बाबर फरगना पर पुन: अधिकार करता है।

👉1501
इधर राजस्थान  में मेवात स्थित रिवाड़ी, राजगढ़ से तीन मील दूर माचेड़ी गांव के साधारण अग्रवंशी बनिया परिवार में पूरणदास के पुत्र के रूप में उस हेमू का जन्म jहोता है, जो कुछ समय के लिए रेवाड़ी की गलियों में नमक बेचता है, मगर आगे जाकर अपनी योग्यता व पराक्रम के दम पर विक्रमादित्य का विरुद धारण कर दिल्ली के तख्त पर बैठता है।

👉1502 ई. 
पुर्तग़ाल के राजा जॉन द्वितीय को पोप अलेक्जेंडर षष्टम का 'बुल' प्रदान किया गया, जिससे पुर्तग़ालियों को भारत के साथ व्यापार करने का एकाधिकार तथा भारत में राज्य स्थापित करने का औपचारिक अधिकार मिला।

👉1503 ई. 
फरगना बाबर के अधिकार से मुक्त।

👉सन् 1504
आसोज सुदी 3 के दिन 66 वर्षीय राव बीका की मृत्यु होती है व नरौ जी के कुछ माह के शासन के बाद फाल्गुन बदी 4 के दिन राव लूणकरण का राज्याभिषेक होता है।
यह वही साल था, जब सिकन्दर लोदी आगरा की स्थापना करता है . इटली के लुडोविको डी बार्थेमा की पश्चिम तथा दक्षिण भारत की यात्रा,
काबुल पर अधिकार कर बाबर का मुल्तान की ओर प्रस्थान।

👉सन् 1506
जाम्भोजी द्वारा सिकन्दर लोदी की कैद से हासम कासम को छुड़ाना तथा मुहम्मद खां नागौरी व बीकानेर के राव लुणकरण को उपदेश देना।
बाड़मेर के भादरेस गांव में आशानन्द बारठ का जन्म तथा ग्वाालियर से 40 किमी दूर बेहट गांव में तानसेन का जन्म होता है। इसी साल सिकन्दर लोदी आगरा को अपनी राजधानी बनाता है।

👉1507
 गुजरात के शासक महमूद बेगड़ा  का दीव (गोवा) में पुर्तग़ालियों के विरुद्ध अभियान।

👉1508 ई.
 द्वितीय मुग़ल सम्राट हुमायूँ का जन्म।

👉1509 ई. 
राणा संग्रामसिंह (राणा सांगा) मेवाड़ के शासक बने , विजयनगर में कृष्णदेवराय  सिंहासन  सिंहासनरूढ़, पुर्तग़ाली गवर्नर फ़्रांसिस्को-द-अल्मेडा भारत आया।

👉1510 ई. 
पृथ्वी राज आमेर का शासक बना, गोवा पर पुर्तग़ालियों का अधिकार, अलबुकर्क गवर्नर बना।

👉सन् 1511
तुलसीदासजी का जन्म।
राव बीका के तीसरे चाचा ऊधा रिणमलोत के पुत्र पंचायण की मृत्यु होती है, जिसने पांचू गांव बसाया था।
इसी वर्ष 5 दिसम्बर 1511 को राव मालदेव का जन्म होता है।

👉सन् 1513
जैसलमेर राजा जैतसिंह द्वारा जाम्भोजी को जैतसमंद तालाब की प्रतिष्ठा व यज्ञ के लिए जाम्भोजी को बुलाना,
लखमण व पांडू गोदारा का खरींगा में बसना
कहा जाता है कि पांडू गोदारा द्वारा अपना राज्य बीका को दान करने के पश्चात अपने चचेरे भाई लखमण गोदारा सहित काफी गोदारों के साथ जाम्भोजी के शिष्य बनकर विष्णोई पंथ में दीक्षित हो गए थे ।
वहीं एक दूसरे मत के अनुसार विष्णोई पंथ में दीक्षीत होने वाला पांडू गोदारा कोई रूणियां का दूसरा ही गोदारा था जो कि लखमण का सगा भाई था तथा बाद में जैसलमेर राज्य में बसने के पश्चात जैसलमेर राजा ने  इन दोनों की शादी कराकर खरींगा में बसाया था ।
हालंकि यह स्पष्ट जानकारी नहीं है कि खरींगा में बसने वाला महाराजा पांडू गोदारा थे या रूणियां के कोई अन्य गोदारा थे ।
माघ बदी 3 के दिन राव लूणकरण की बरात चित्तौड़ के लिए रवाना हुई तो राव ने 126 वर्षीया करणी जी के दर्शन कर उनसे आशीर्वाद मांगा था। इस विवाह की देनगी या बखेर में बीस हाथी व सौ घोड़े चारणों को दिए .गए थे।

👉सन् 1514
बाबर की पत्नी गुलरुख बेगचिक के पुत्र कामरान का जन्म होता है और इसी वर्ष बाबर चगानसराय पर अधिकार करता है।

👉1515
गुरू जाम्भोजी से मिलने के लिए राणा सांगा का समराथल पर आगमन ।

👉1517
नवम्बर में आगरा के किले में सुलतान सिकन्दर की मृत्यु के बाद इब्राहिम लोदी का राज्याभिषेक होता है।
इस समय दिल्ली का राज्य बहुत ही संकुचित था। उसमें दिल्ली, आगरा, दोआब व जौनपुर के कुछ प्रदेश ही शामिल थे।
खातोली (आसींद) के युद्ध में राणा सांगा ने इब्राहीम लोदी को हराया,

👉1518
कबीर की मृत्यु

👉1519 ई. 
बाबर का भारत आगमन।

👉1520 ई.
बाबर का भीरा, सियालकोट पर आक्रमण।

👉1522 ई. 
बाबर का कंधार पर अधिकार।

👉1523 ई. 
लाहौर और सरहिन्द पर बाबर का आक्रमण,

👉1524
बाबर का लाहौर पर अधिकार

👉1526
बीकानेर के राव लुणकरण के पुत्र जैतसी से भेंट, नारनोल युद्ध में न जाने की सलाह ।
21 मार्च को सावन बदी 4 के दिन नारनौल के नबाब शेख अबीमीरा के साथ धौसा नामक स्थान पर हुए युद्ध में राव लूणकरण अपने ही आदमियों के विश्वासघात से मारा गया,
उसकी मृत्यु के पांच दिन बाद 26 मार्च को सावन बदी 9 को 37 वर्षीय जैतसी का राज्याभिषेक हुआ।
21 अप्रैल को बाबर तथा इब्राहिम लोदी के मध्य पानीपत का प्रथम युद्ध, इब्राहीम लोदी की पराजय तथा मृत्यु, दिल्ली पर क़ब्ज़े के साथ ही मुग़ल साम्राज्य की स्थापना।

👉1527
जोधपुर के कुंवर मालदेव का जाम्भोजी से लोहावट क्षेत्र में मिलन ।
16 फरवरी को राणा सांगा द्वारा बयाना के किले पर अधिकार,
 17 मार्च को चैत्र सुदी 14 के दिन शनिवार को खानवा का युद्ध होता है ।

👉1528
 30 जनवरी को बसवा में राणा सांगा की मृत्यु होती है।

👉1530
26 दिसम्बर  को सोमवार के दिन बाबर की मृत्यु हो गई व इसके तीन दिनों बाद 29 दिसम्बर को आगरा के किले में हुमायूं का राज्याभिषेक हुआ
 महारावल जगमाल सिंह द्वारा बाँसवाड़ा राज्य की स्थापना
विजयनगर के राजा कृष्णदेव राय  की मृत्यु (26 दिसम्बर)।

👉1531 ई.
गुजरात के बहादुरशाह का मालवा  तथा उज्जैन पर अधिकार।

👉1532
9 मई को मारवाड़ के राव गांगा को उसके पुत्र मालदेव ने झरोखे से गिराकर मार डाला तथा 21 मई को उसी पितृहंता का राज्याभिषेक हुआ
रायसेन, चंदेरी एवं मंदसौर पर बहादुरशाह का अधिकार तथा चित्तौड़ पर पहला हमला।
जाम्भाणी संत विल्होजी का जन्म।

👉1533 ई. 
चित्तौड़ पर बहादुरशाह का प्रथम आक्रमण व रणथम्भौर तथा अजमेर  पर अधिकार, वैष्णव संत चैतन्य का निधन।

👉1534 ई. 
हुमायूँ का मालवा को प्रस्थान, शेरशाह ने सूरजगढ़ की लड़ाई में बंगाल के शासक महमूद ख़ाँ को परास्त किया।

👉1535
 चित्तौड़ पर बहादुरशाह का द्वितीय आक्रमण, वीरांगनाओं का जौहर
पुर्तग़ालियों की सहायता से बहादुरशाह का चित्तौड़ पर अधिकार,
हुमायूँ से बहादुरशाह पराजित, हुमायूँ की गुजरात तथा मालवा पर विजय।

👉सन् 1536
85 वर्षीय गुरू जाम्भोजी ने मार्गशीर्ष वदी नवमी को लालासर साथरी की हरी कंकेड़ी के नीचे अपना शरीर छोड़ दिया, जाम्भोजी के शिष्यों द्वारा शरीर को लेकर जाम्भोलाव तालाब की और प्रस्थान, लेकिन बीकानेर राव जैतसी द्वारा टोकने पर तालवा से आगे नहीं बढ पाना तथा एकादशी को तालवा गांव (वर्तमान मुकाम) में जाम्भोजी के शरीर को समाधिस्थ करना । तथा पौष सुदी दूज सोमवार को रणधीर बाबल द्वारा मंदिर की नींव रखना ।
 यह वही वर्ष था, जब चित्तौड़ के किले में बनवीर विक्रमादित्य की हत्या करता है।
हुमायूँ ने अस्करी को गुजरात का शासक नियुक्त किया, गुजरात में मुग़लों के विरुद्ध विद्रोह।

👉सन् 1537 
चैत्र बदी 2 के दिन 150 वर्षीया देवी करणी ने अपने हाथों से बिना किसी तगारी के देशनोक मन्दिर के गुम्भारे का निर्माण किया व जाल वृक्ष के उन लकड़ों को छत पर तान दिया, जो आज भी ऐसे प्रतीत होते हैं, मानो अभी-अभी रखे गए हों।
दयालदास अपनी ख्यात में लिखता है कि गुम्भारे के इन प्रस्तरों को देवी करणी अपने पीहर से बैलगाड़ी पर डालकर लाई थी।.
गुजरात के शासक बहादुरशाह की मृत्यु।

👉1538 ई.
राव मालदेव का सिवाना व जालौर पर अधिकार
 शेरशाह के हाथों बंगाल का शासक महमूदशाह परास्त,
हुमायूँ  का बंगाल पर आक्रमण, सिक्ख  गुरु नानक देव का निधन।

👉 1540 ईस्वी
चैत्र सुदी सप्तमी शुक्रवार को निज मन्दिर निर्माण पूरा होना

👉1543 ईस्वी
विष्णोईयों की पंचायत द्वारा कार्तिक शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को निज मन्दिर पर मकराने पत्थर का कलश चढाना ।

 Omji 9636361410✍✍✍✍✍✍

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