हिन्दू एक मरती हुई नस्ल

साल 1914 में यूएन मुखर्जी ने एक छोटी सी पुस्तक लिखी, 'हिन्दू एक मरती हुई नस्ल'!

1911 की जनगणना को देखकर ही 1914 में मुखर्जी ने पाकिस्तान बनने की भविष्यवाणी कर दी। उस समय संघ नहीं था, सावरकर नहीं थे, हिन्दू महासभा नहीं थी!

तब भी मुखर्जी ने वो देख लिया जो पिछले 100 सालों में एक दर्जन नरसंहार और एक तिहाई भूमि से हिन्दू विलुप्त करा देने के बाद भी काँग्रेसी सपाई रालोदी एनसीपी तृणमूल वाले सेक्युलर नहीं देख पा रहे।

इस किताब के छपते ही सुप्तावस्था से कुछ हिन्दू जगे। अगले साल 1915 में पं मदन मोहन मालवीय जी के नेतृत्व में हिन्दू महासभा का गठन हुआ। आर्य समाज ने शुद्धि आंदोलन शुरू किया जो एक मुस्लिम द्वारा स्वामी श्रद्धानंद की हत्या के साथ समाप्त हो गया। 1925 में हिन्दुओं को संगठित करने के उद्देश्य से संघ बना।

लेकिन ये सारे मिलकर भी वो नहीं रोक पाए जो यूएन मुखर्जी 1915 में ही देख लिया था। गाँधीवादी अहिंसा ने इस्लामिक कट्टरवाद के साथ मिलकर मानव इतिहास के सबसे बड़े नरसंहार को जन्म दिया और काबुल से लेकर ढाका तक हिन्दू शरीयत के राज में समाप्त हो गए।

जो बची भूमि हिन्दुओं को मिली वो हिन्दुओं के लिए मॉडर्न संविधान के आधार पर थी और मुसलमानों के लिए शरीयत की छूट। धर्मांतरण की छूट, चार शादी की छूट, अलग पर्सनल लॉ की छूट, हिन्दू तीर्थों पर कब्जे की छूट सब कुछ स्टैंड बाय में है। हिन्दू एक बच्चे पर आ गए हैं वहाँ आज भी आबादी बढ़ाना शरीयत है।

जो लोग इसे केवल भाजपा काँग्रेस की राजनीति समझते हैं, उन्हें एक बार इस स्थिति की गंभीरता का अंदाजा लगाना चाहिए 2015 में 1915 से क्या बदला है?

आज भी साल के अंत में वो अपना नफा गिनते हैं... हम अपना नुकसान!

हमें आज भी अपने भविष्य के संदर्भ में कोई जानकारी नहीं है।

आज भी संयुक्त इस्लामिक जगत हम पर दबाव बनाए हुए हैं कि हम अपने तीर्थों पर कब्जा सहन करें लेकिन उपहास और अपमान की स्थिति में उसी भाषा में पलटकर जवाब भी न दें।

मराठों ने बीच में आकर 100-200 साल के लिए स्थिति को रोक दिया जिससे हमें थोड़ा और समय मिल गया है लेकिन ये संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है।

अपने बच्चों को देखिए आप उन्हें कैसा भविष्य देना चाहते हैं, मरती हुई हिन्दू नस्ल जैसा कि 1915 में यूएन मुखर्जी लिख गए थे।

अपने समय का एक समय, अपनी कमाई का एक हिस्सा, बिना किसी स्वार्थ के हिन्दू जनजागरण में लगाइये, यदि ये कोई भी दूसरा नहीं कर रहा तो खुद करिए।

नहीं तो आपके बच्चे अरबी मानसिकता के गुलाम, चार साल की मासूम अवस्था में जानवर को तड़पा तड़पा कर हलाल करने वाले, चौथी बीवी या फिदाइन हमलावर बनेंगे और इसके लिए सिर्फ आप जिम्मेदार होंगे।

Hindu dying race नहीं है, हम सनातन हैं।

और ये आखिरी सदी है, जब हम लड़ सकते हैं। इसके बाद हमारे पास भागने के लिए कोई जगह नहीं है।।

@Modified_Hindu

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